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कवक (Fungi) क्या है? लक्षण और वर्गीकरण

कवक (Fungi) क्या है? कवक (Fungi) एक लैटिन शब्द है जिसका उपयोग सामान्यत: छत्रको (mushrooms) के लिए किया जाता था। वर्तमान में कवक (Fungus) शब्द का उपयोग ऐसे जीवों (organisms) के लिए किया जाता है जो क्लोरोफिल रहित, केन्द्रकयुक्त, बीजाणुधारी, तन्तुवत्, शाखित होते हैं एवं लगिक तथा अलैंगिक प्रजनन करते हैं।

कवक (Fungi) क्या हैं?

इनकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज या काइटिन अथवा दोनों की ही बनी होती है। वनस्पतिशास्व की वह शाखा, जिसके अन्तर्गत कवकों का अध्ययन किया जाता है, कवक विज्ञान (Mycology) कहलाती है।

कवको के सामान्य लक्षण (General symptoms of fungus)

  1. इनमें क्लोरोफिल (Chlorophyll) नहीं होता है।
  2. इनमें सुनिश्चित कोशिका भित्ति (definite cell wall) होती है। ये सामान्यतः अचल (non-motile) होते हैं, लेकिन इनमें चल (motile) प्रजनन कोशिकाएँ (reproductive cells) होती है।
  3. ये बीजाणुओं (spores) के द्वारा प्रजनन करते हैं।
  4. कवक (fungi) सामान्यतः तन्तुवत् (filamentous) तथा बहुकोशिकीय (multicellular) होते हैं। इनमें ऊतक विभेटन (tissue differentiation) अत्यल्प होता है तथा श्रम विभाजन (division of labour) नहीं पाया जाता।
  5. इनमें तन्तु (filament) की वृद्धि अग्रस्थ (apical) होती है।
  6. ये वितरण में सर्वव्यापी (cosmopolitans) होते हैं।
  7. कवकों में संचित भोजन (reserve food) ग्लाइकोजन (glycogen) या तेल बूटी (oil drops) के रूप में होता है।

कवको का आवास (Habitat)

कवक अपने वितरण में सर्वव्यापी (cosmopolitan) होते हैं। ये हर उस वातावरण में मिलते हैं जहाँ जीवित या मृत कार्बनिक पदार्थ (organic matter) उपस्थित होता है। अनेक कवक स्थलीय तथा कुछ जलीय होते हैं।

ये उस मृदा (soil) में भी पाये जाते है जो मृत कार्बनिक पदार्थों से युक्त होती है। ये प्रायः अचल बोजाणु उत्पन्न करते हैं जो वायु, जल तथा प्राणियों द्वारा प्रकीर्णित (dispersed) होते है।

सूकाय-संरचना (Thallus Structure)

1. एककोशिकीय सूकाय (Unicellular thallus)

निम्न वर्ग के कुछ कवको जैसे काइटिस (Chytrids) में बैलस एक गोल (spherical) एवं एककोशिकीय (unicelled) संरचना होती है। प्रजनन के समय यह एक जनन इकाई (reproductive unit) की तरह कार्य करता है। ऐसे कवकों को पूर्णकाच फलिक (holocarpic) कहते हैं। ऐसे कवकों में वर्षों (vegetative) तथा प्रजनन (reproductive) अवस्थाएँ एक साथ एक ही बैलस में नहीं होती। प्लाज्मोडियोफोरा (Plasmodiophora) में वर्ची अवस्था एक नग्न (naked), बहुकेन्द्रकी (multinucleate) तथा अमीचीय प्रोटोप्लाज्म (amoeboid protoplasm) को बनी होती है।  उदाहरणार्थ — सिन्काइट्रियम (Synchytrium)।

2. तन्तुवत सुकाय (Filamentous thallus)

अधिकांश कवकों (fungi) में सूकाय तन्तुवत् तथा कवक उन्नुओं (hyphar) का बना होता है। ये कवक तन्तु समग्र रूप से कवक जाल (mycelium) कहलाते हैं। कवक्तन्तु या तो पारभासी (hyaline) या विभिन्न रंगों वाले होते हैं। कयकतन्तु का व्यास (diameter) 0.5 से 1 mm तक होता है। कवकतन्तु का शीर्ष (apex) लगातार वृद्धि करता है। पट्टों (Septa) की उपस्थिति के आधार पर कवकजालीय कवक दो प्रकार के होते हैं-

a. पट्टहीन कवकतन्तु (Aseptate hyphae)

ये ऊमाइसिटीज (oomycetes) तथा जायगोमाइसिटीज (rygomycetes) में पाये जाते जाते हैं। हैं। इसमें कवकनाल (mycelium) बहुवेन्द्रकीय (multinucleate) होता है। ये केन्द्रक एक उभय कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में निलम्बित होते हैं।

b. पट्टयुक्त कवकतन्तु (Septate hyphae)

ये एस्कोमाइकोटिना (Ascomycotina), बेसीडियोमाइकोटिना (basidiomycotina) तथा ड्यूटेरोमाइकोटिना (Deuteromycotina) में पाये जाते है। हैं। कवक तन्तु में पट्ट (septa) पाये तथा प्रत्येक कोशिका में एक, दो या अधिक केन्द्रक (nuclei) होते हैं। पट्ट दो प्रकार के होते हैं जाते हैं 

(i) प्राथमिक पट्ट (Primary septa)

प्राथमिक पट्टों का निर्माण समसूत्री (mitotic) या अर्थसूत्री (meiotic) विभाजनों के समय होता है। ये पट्ट पुत्री केन्द्रकों (daughter nuclei) को पृचक् करते हैं। बेसीडियोमाइकोटिना तथा इनकी अलैंगिक अवस्थाओं (asexual states) में पाये जाते हैं।

(ii) अपस्थानिक पट्ट (Adventitious septa)

ये पट्ट विभाजनों की अनुपस्थिति में, कोशिका द्रव्य (cytoplasm) की स्थानीय सान्द्रता (local concentration) में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न होते होते हैं। ये पट्ट निम्न वर्ग (lower group) कवकों जैसे मेस्टिगोमाइकोटिना (Mastigomycotina) तथा जायगोमाइकोटिना (Zygomycotina) में पाये जाते हैं।

कवक कोशिका की संरचना (Structure of Fungal Cell)

स्लाइम मोल्ड्स (Stime moulds) अथवा मिक्सोमाइकोटिना (Mixomycotina) को छोड़कर शेष कवक कोशिकाएँ दृढ़ (rigid) कोशिका भित्ति (cell wall) को बनी होती है जिसके भीतर प्रोटोप्लास्ट (protoplast) भरा होता है।

कोशिका भित्ति (Cell wall)

कवकों में कोशिका भिति को अनेक भूमिकाएँ होती है। यह कोशिका के विशिष्ट आकार (shape) का निर्धारण करती है। यह प्रोटोप्लास्ट एवं पर्यावरण (environment) के बीच एक इन्टरफेस (interface) ही तरह कार्य करता है। यह कोशिका को परासरणीय लयन (osmotic lysis) एवं अन्य जीवों के उपापचयी उत्पादों (metabolism) से बचाता है।

फंगस सेल्यूलोज एक प्रकार का काइटिन (chitin) होता है।ही बेरी (De Bary, 1866, 1887) के अनुसार पेरोनोस्पोरा (Peronospora) तथा समोलेग्निया (Saprolegia) में वास्तविक सेल्यूलोज (true cellulose) तथा पाइटोफ्योरा (Phytophthora) में ग्लुकोन (glucan) प्रमुख रूप से उपस्थित होता है।

यीस्ट्स की कोशिका भिति में आइटीन या ग्लूकॉन के स्थान पर मेनान (Mannan) उपस्थित होता है।

कोशिका की अन्तर्वस्तुएँ (Cell inclusions)

कवक-कोशिका में तमाम अन्तर्वस्तुएँ एक साइटोप्लाज्मिक झिल्ली (cytoplasmic membrane) — प्लाज्मालेमा (plasmalemma) के अन्दर उपस्थित होती हैं। साइटोप्लाज्मिक मेम्ब्रेन के भीतर उपस्थित एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम (endoplasmic reticulum) हरे पौधों की कोशिकाओं तथा प्राणियों की कोशिकाओं में उपस्थित ER की अपेक्षा अनियमित (irregular) तथा ढीली (loose) होती है।

प्लाज्मालेमा (plasmalemma) के अन्तर्विष्ट (invagination) जो कोशिकाभित्ति के पास स्थित होते हैं, लोमासोम्स (lomasomes) कहलाते हैं। उच्च पादपों (higher plants) तथा प्राणियों (animals) के समान गॉल्जीकाय (Golgi complex) भी कुछ कवकों (fungi) में पायी जाती हैं। कोशिकाओं की प्रमुख अन्तर्वस्तुओं में डिक्टियोसोम्स (dictyosomes), माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria), राइबोसोम्स (ribosomes), रिक्तिकाएँ (vacuoles), सेण्ट्रियोल्स (centrioles), केन्द्रक (nuclei) तथा संग्राहक उत्पाद (storage product) सम्मिलित होती हैं।

Structural details of fungus cell

(i) डिक्टियोसोम्स (Dictyosomes)

डिक्टियोसोम्स या गॉल्जीकाय (Golgi apparatus) झिल्लीयुक्त थैलियों (sacs) की बनी होती है जिनके किनारों पर गोल वाहिनियाँ (vesicles) उपस्थित होती है।

(ii) माइटोकॉण्ड्यिा (Mitochondria)

साइटोप्लाज्म में छोटी, गोल संरचनाएँ उपस्थित होती हैं जो दोहरी झिल्ली से ढँकी होती है। इन्हें माइटोकॉण्ड्रिया कहते है। इनकी आन्तरिक झिल्ली अन्तर्वेशित (infolded) होकर क्रिस्टी (cristae) का निर्माण करती है। कवक तथा उच्च पौधों के माइटोकॉण्ड्रिया में कोई अन्तर नहीं होता है।

(iii) राइबोसोम्स (Ribosomes)

उच्च पौधों (higher plants) तथा प्राणियों (animals) की तरह कवक-कोशिका के सायटोप्लाज्म में राइबोसोम्स (ribosomes) पाये जाते हैं। ये प्रोटीन निर्माण के केन्द्र होते हैं।

(iv) रिक्तिकाएँ (Vaculoes)

ये कोशिका भित्ति (cell wall) के समीप स्थित होते हैं। इनकी संख्या कोशिका की उम्र (age) के साथ बढ़ती है। रिक्तिकाएँ एक झिल्ली टोनोप्लास्ट (tonoplast) द्वारा आच्छादित होती हैं।

(v) सेण्ट्रियोल्स (Centrioles)

ये कवकों में सामान्यतः नहीं पाये जाते। कभी-कभी केन्द्रक विभाजन (nuclear division) के समय ये ध्रुवों (poles) पर पाये जाते हैं, विशेषकर एस्कोस्पोर (ascospore) निर्माण के समय।

(vi) केन्द्रक (Nucleus)

कवकों के केन्द्रक प्रायः छोटे तथा व्यास (diameter) में 2-3μ होते हैं। केन्द्रक में एक केन्द्रीय सघन क्षेत्र होता है जो एक स्वच्छ क्षेत्र (clear area) द्वारा घिरा होता है।

केन्द्रीय भाग हिमेटॉक्जिलिन (haematoxylin) द्वारा अभिरंजित (stain) किया जा सकता है तथा यह सामान्यतः फ्यूल्जन ऋणात्मक होता है। कवक विज्ञानी (Mycologists) इसे केन्द्रिका (nucleolus) कहते हैं। केन्द्रक कला एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के नैरन्तर्य में होती है।

कवकों के केन्द्रक अपने आकार (size) में काफी विभिन्नताएँ प्रदर्शित करते हैं। इनकी संख्या प्रति कोशिका 2-3 या 20-30 भी हो सकती है। न्यूरोस्पोरा क्रासा (Neurospora crassa) में 100 केन्द्रक तक पाये जाते हैं।

कवको में अलैंगिक प्रजनन (asexual reproduction in fungi)

अलैंगिक प्रजनन जीवों के प्रसार (propagation) की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है। कवकों में अलैंगिक प्रजनन निम्नलिखित विधियों द्वारा सम्भव है-

  1. खंडन (Fragmentation)
  2. मुकुलन (Budding)
  3. विखंडन (Fission)
  4. बीजाणुओं द्वारा (By spores)

कवको में लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction in Fungi)

कवकों के लैंगिक प्रजनन के अन्तर्गत दो संयोज्य (compatible) केन्द्रको (nuclei) का संलयन (union) होता है। प्रजनन की प्रक्रिया मुख्यतः तीन अवस्थाओं से मिलकर बनती है।

कवकों को तीन लैंगिक श्रेणियों (sex-categories) में विभक्त किया गया है-

  1. द्विलिंगी (Monoecious)
  2. एकलिंगी (Dioecious)
  3. लैंगिक रूप से अविभेदित (Sexually undifferentiated)

कवको का वर्गीकरण (Classification of Fungi)

कवकों के वर्गीकरण का इतिहास (history) उस समय से प्रारम्भ होता है जब बॉहिन (Bauhin) ने सन् 1623 में पाइनैक्स थियेट्री बॉटेनिकी (Pinax Theatri Botanici) में कवकों की 100 जातियों का समावेश किया था।

लिनीयस (Linnaeus, 1753) नै स्पीशीज प्लाण्टेरप (Species Plantarum) में कवकों का 24वें वर्ग (Class) क्रिप्टोगैमिया फंजाई (Cryptogantia fungi) के अन्तर्गत वर्णन किया।

वैसे (Bessey, 1951) ने कवकों का विस्तृत वर्गीकरण (eleborated classification) अग्रानुसार दिया-

Classification of Fungi Adobe Scan Feb 11 2024 1 2

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